द्विजवादियों ने अपनी सुविधा के लिए अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए और छोटी जातियों का शोषण करने के लिए वर्ण-व्यवस्था को जन्म दिया। यदि भारतीय समाज से वर्ण-व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाए तो सभी वर्ग के लोगों को फलने-फूलने का समान अवसर मिलेगा। दलितों को भी समाज में सम्मानजनक स्थान मिलेगा, उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।