सवित्रीबाई ने वंचित वर्गों को शिक्षा भी दी और आवाज भी। उनके स्कूल अछूतों की बस्तियों के ठीक बीच में खोले जाते थे ताकि भौतिक और भावनात्मक दूरी की बाधाएं रहें ही न। उनके अनुसार, शिक्षा से हममें सही और गलत, सत्य और असत्य के बीच चुनने की क्षमता का विकास होना चाहिए