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आखिर क्या कारण है कि सवर्ण समाज के लोग चाहे जितना भी आधुनिक हो जाएं, लेकिन जातिगत दंभ से मुक्त नहीं हो पाते? अजय नावरिया की कहानी ‘संक्रमण’ इसी सवाल के जवाब की तलाश करती है। बता रही हैं ज्योति पासवान