हम सब, जो इस काले दौर से लड़ रहे हैं, उन्हें यह जानना होगा कि एक तानाशाह को सबसे ज्यादा डर किस बात से लगता है। वह डरता है अभिव्यक्ति की आजादी से। अगर ऐसा न होता तो एक अखबार के दफ्तर पर छापा क्यों पड़ता? एक बच्ची की फेसबुक पर टिप्पणी से कोई क्यों घबराता? और एक कार्टून उसके भीतर डर क्यों पैदा करता?