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शासन-प्रशासन में भागीदारी को लेकर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कई तरह की आवाजें उठने लगी हैं। इनमें से एक आवाज “सन ऑफ डोम” की भी है। बता रहे हैं प्रणय प्रियंवद
यूजीसी के नियम सभी राज्यों में समान तिथि से लागू नहीं हुए। फिर यूजीसी की गाइडलाइन्स को लागू करना उन्नत प्रदेशों के विद्यार्थियों को तरजीह देना और बिहार जैसे शिक्षा में पिछड़े प्रदेश को और पीछे ले जाने की तरह है। बिहार में बड़ी आबादी पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों की है। बता रहे हैं प्रणय प्रियंवद
इस वर्ष रेणु की जन्मशती मनाई जा रही है। लेकिन बिहार की राजधानी पटना में उनकी स्मृति में बनाए गए हिंदी भवन के साथ राज्य सरकार उपेक्षापूर्ण व्यवहार कर रही है। उपेक्षा का भाव सूबे के साहित्यकारों के मन में भी इस कदर है कि यदि भवन को ढहा कर वहां सरकार मॉल भी बना दे तब भी उनकी आत्मा नहीं जागेगी। बता रहे हैं प्रणय
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। घुमक्कड़ पत्रकार प्रणय प्रियंवद जायजा ले रहे हैं पटना के एक दलित बहुल गांव का। यह वही गाँव है जहां 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक वृद्ध दलित के हाथों झंडोत्तोलन कराया था
It is not the coronavirus scare alone that is fuelling the desperation among the migrant workers from Bihar to somehow reach their homes. Most of them are Dalits and OBCs and they fear that feudal musclemen may grab their lands, says Pranay
प्रणय बता रहे हैं बिहार के प्रवासी मजदूरों के बारे में जो कोरोना के दहशत के बीच अपने घरों को लौट रहे हैं। उनके मुताबिक इन मजदूरों में अधिकांश दलित और ओबीसी हैं। उनके लौटने की एक वजह यह भी कि सामंत कहीं उनकी जमीनें न हड़प लें
This magazine never conducted a sting operation or exposed a mega scam – something that is considered great journalism by journalists, and the editors and owners of big media houses. But not one of these media houses showed the courage that this magazine did
मुझे याद नहीं इस पत्रिका ने कोई स्टिंग किया या किसी घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसे आमतौर पर पत्रकार या बड़े मीडिया घरानों के संपादक-मालिक सबसे बड़ी पत्रकारिता मानते हैं। बावजूद इसके जैसा साहस बड़े घराने आज तक नहीं दिखा पाए वह साहस फारवर्ड प्रेस ने दिखाया
Just as Laloo Prasad Yadav had gained strength from his slogan “Bhurabaal [Bhumihar, Rajput, Brahmin, Lala] hatao”, the JDU might be hoping to cash in on “Savaranas are outsiders”
आर्य कहां से आए, इसको लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. एक मत यह है कि आर्य आक्रमणकारी थे और इस देश में बाहर से आकर बसे. यहां के लोगों से उन्होंने युद्ध किये. विदेशी आक्रमणकारियों ने सिंधु सभ्यता के नगरों को तहस नहस किया. इतनी बड़ी नागरी-सभ्यता के पतन के कई कारणों में एक आर्य आक्रमण को भी माना ही जाता है. मोहनजोदड़ों में इसके प्रमाण मिल चुके हैं
In Patna, junior doctors from the forward as well as the backward castes were agitating on the issue of reservations. The electronic media liberally beamed the news of the agitation of the forward-caste doctors but what the doctors from the backward castes did was blacked out
पटना में आरक्षण के मुद्दे पर अगड़े जूनियर डॉक्टरों और पिछड़े जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन हुआ। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने अगड़े जूनियर डॉक्टरों की खबरों को खूब प्रसारित किया, जबकि पिछड़े जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन की खबरें गायब रहीं।
Sociopolitical movements and the rise of OBC leaders have cumulatively transformed the politics of Bihar. But this does not mean that all inequalities, all forms of discrimination have ended, says veteran journalist and author Shrikant
लगातार संघर्ष का परिणाम है कि आज बिहार की राजनीति बदल गई है। इसका अर्थ यह भी नहीं कि सारी विषमताएं, सारा भेदभाव दूर हो गया। बिहार के वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत से प्रणय प्रियंवद की बातचीत