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देश की राजधानी दिल्ली में हर दिन औसतन 19 बच्चे गायब किए जा रहे हैं। इस संबंध में ‘नव सृष्टि’ नामक स्वयंसेवी संस्था ने पंफलेट के जरिए अपील जारी की है। हालांकि, जब इस संबंध में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से संपर्क किया गया तो न तो उनके पास अद्यतन आंकड़े थे और न ही बच्चों के प्रति कोई संवेदनशीलता
जयपुर स्थित डॉ. आंबेडकर वेलफेयर सोसायटी में आज से तीन दिवसीय बहुजन साहित्य महोत्सव का आयोजन हो रहा है
2018 में 50 आईआईटी के पूर्व छात्रों के द्वारा बनाई गई बहुजन आज़ाद पार्टी को चुनाव आयोग ने ‘स्लेट’ चुनाव चिह्न दे दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार का कहना है कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी
प्रसिद्ध लेखिका रमणिका गुप्ता ने रमणिका फाउंडेशन के कार्यालय पर बीती 9 फरवरी को मासिक गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी में लक्ष्मीकमल गीडम, अभय कुमार और अरुणा सब्बरवाल ने कहानी पाठ किया
17 फरवरी (रविवार) को गिरौदपुर से सोनाखान तक मैत्री यात्रा का आयोजन किया जाएगा। इस मैत्री यात्रा में लोग व संस्थाओं के प्रतिनिधि अथवा कार्यकर्ता जाति, धर्म, लिंग, नस्ल, राष्ट्रीयता, दलगत राजनीति के भेदभाव से रहित नियमों के तहत भाग ले सकते हैं
देशभर के विभिन्न क्षेत्रों के कारीगर 15 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकत्र हो केंद्र सरकार से उनके लिए मंत्रालय, आयोग और विकास बोर्ड की मांग करते आर्टीजन वेलफेयर आर्गेनाईजेशन के बैनर तले हुए धरना-प्रदर्शन करेंगे
13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के विरोध में बीएचयू में शिक्षकों, छात्र-छात्राओं तथा स्थानीय लोगों ने 11 फरवरी को शांतिपूर्ण बंद और आक्रोश सभा का आयोजन किया। सभा में केंद्र सरकार से शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के हिसाब से यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को यूनिट मानकर आरक्षित वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की मांग की गई
आदिवासियों के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है, जिससे वे अपने अधिकार जान सकें और वर्तमान समय में देश के विकास में भागीदार बनें। यह बात जनजातीय शोध एवं विकास संस्थान (वाराणसी) में आयोजित आदिवासी संगोष्ठी में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (भारत सरकार) की उपाध्यक्ष एवं संगोष्ठी की मुख्य अतिथि अनुसूइया उइके ने कही
सरकार एक तरफ आरक्षण के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने की बात कह रही है, तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद कई विश्वविद्यालयों ने एमएचआरडी व यूजीसी के सर्कूलर का इंतजार किए बगैर ही विभागवार आरक्षण के आधार पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर दिए हैं
शायर मूलचन्द सोनकर ने बिंबों में उन किरदारों को लिया है, जिन्होंने दलितों-शोषितों-पिछड़ों पर जमकर अत्याचार किए हैं। सोनकर की शायरी में बहुजनों को झकझोरने की ताक़त है, तो जाति-वर्ण-भाषा-क्षेत्र के नाम पर लोगों का शोषण और उनसे भेदभाव करने वालों के ख़िलाफ़ गुस्सा भी है