अमेरिका में जारी अश्वेतों के आंदोलन की पृष्ठभूमि में प्रेम कुमार, भारतीय समाज और इसकी वैचारिकी का विश्लेषण कर रहे हैं। उनके मुताबिक, भारत में जातीय अंतर्विरोधों से ऊपर उठकर अश्वेत जैसी कोई वर्गीय अवधारणा का विकास अभी तक संभव नहीं हो पाया है। शोषण और भेदभाव के पीड़ित मजबूत और टिकाऊ सामाजिक गठबंधन बना सकते हैं