लोहिया की भाषण शैली ने मुद्राराक्षस को खासा प्रभावित किया था, लेकिन जल्द ही उन्हें लोहिया की सीमाओं का पता चल गया था। लोहिया हिंदू धर्मग्रंथों की सीमा के पार जाने से बच रहे थे और उन ग्रंथों की आलोचना से भी। जबकि उन्हें जो हिंदू धर्मग्रंथ परिवार में पढ़ने को मिले थे, उनमें उनकी जाति सहित बड़ी आबादी को नीच और घृणित माना गया था। बता रहे हैं रामनरेश यादव