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बनारस छूटने के बाद दिल्ली में यही सुख तो सपना बन गया है! माह में दो-एक बार सौ-डेढ़ सौ रुपये इकट्ठे ढीलने का साहस जुटाओ तो मोहनसिंह पैलेस कॉफी हाउस या श्रीराम सेंटर में कुछ घंटे कहकहों से आबाद हो पाते हैं! वह भी कामचलाऊ बौद्धिक जुगाली