यह बहुजनों की बोलचाल की भाषा मे रचा गया कथानक है, जो अपनी पूरी सहजता के साथ उपस्थित रहता है। यह एक ग्रामीण पृष्ठभूमि के पिछड़े वर्ग के साधारण सामाजिक कार्यकर्ता की असाधारण कहानी की सहजतम अभिव्यक्ति है, जिसमें शब्दाडंबर नहीं है। बता रहे हैं एस. आर. मेहरा