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किसान आंदोलन के संदर्भ में उत्तर प्रदेश दो भागों में बंट गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों में सुगबुगाहट भी नहीं है। इसकी वजह क्या है, बता रहे हैं सुशील मानव
नहीं बदलना यानी जड़ बने रहना कोई अच्छी चीज नहीं है। प्रेमचंद के समय से लेकर अब तक एक लंबा समय बीत चुका है और इतने समय में समाज को बदल जाना चाहिए था। मसलन, इतने सालों में दलितों का मंदिर प्रवेश का मुद्दा खत्म हो जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ
गत दो जुलाई को केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के एक गांव में एक दलित युवक की हत्या कर दी गई। परिजनों के मुताबिक हत्या की वजह जमीन को लेकर विवाद है। उनका यह भी आरोप है कि पुलिस उंची जाति के अपराधियोें की मदद कर रही है और लीपापोती में लगी है। सुशील मानव की खबर
सुशील मानव बता रहे हैं वाल्मिकी समुदाय के रंगमंच कलाकार अमित चौहान के बारे में। जीवट के धनी इस कलाकार के साथ वर्ष 2012 में एक हादसा हुआ जिसमें वे अपना दायां पैर गंवा बैठे। लेकिन उन्होंने इस हादसे पर भी विजय पाई और इन दिनों वे ओमप्रकाश वाल्मिकी की कहानी “सलाम” पर काम कर रहे हैं
सुशील मानव बता रहे हैं कि भारत में कोविड-19 के खिलाफ जंग में केरल ने जो मिसाल पेश की है उसके पीछे इस राज्य की समता व बंधुत्व पर आधारित बहुजनवादी संस्कृति, सरकार की स्पष्ट रणनीति और प्रशासन तंत्र द्वारा उसके ईमानदारी से कार्यान्वयन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है
सुशील मानव बता रहे हैं कि कैसे गांवों में आंबेडकरवादी लहर फैल रही है। लोग अपने अधिकारों के लिए जागरूक हो रहे हैं। उनके मुताबिक, हाल के वर्षों में दलित और पिछड़े समाज के लोगों में एकता बनी है
सफाईकर्मी स्वास्थ्यकर्मियों की तरह भले ही संक्रमित मरीजों के संपर्क में सीधे न आते हों, लेकिन वे उनके अपशिष्टों के संपर्क में तो आते ही हैं। उनके भी संक्रमित होने का उतना ही जोखिम रहता है जितना कि किसी स्वास्थ्यकर्मी के। लेकिन भारत में सफाईकर्मी हाशिए पर हैं। उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सुशील मानव की रिपोर्ट
बीते 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘लक्ष्मण रेखा’ का उल्लेख किया। ‘लक्ष्मण रेखा’ मनुवादी शब्दावली का शब्द है। यह स्त्रियों को घर की चारदीवारी के भीतर सीमित कर देता है। हिंदी मीडिया भी पीएम के द्वारा संकेतों में दिए गए आदेश का पालन करने में जुटी है। बता रहे हैं सुशील मानव
कोरोना के दहशत के बीच बिना तैयारी के लॉकडाउन की घोषणा की सबसे अधिक मार मजदूरों पर पड़ रही है। सुशील बता रहे हैं उत्तर प्रदेश के मजदूरों के बारे में जो अपने घर लौटना चाहते हैं, लेकिन न तो उन्हें वापस भेजा जा रहा है और न ही उनके रहने-खाने का इंतजाम किया जा रहा है।
सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में अब दलित, पिछड़े,आदिवासी व मुसलमान एकजुट हो रहे हैं। ऐसी ही एकजुटता बीते 4 मार्च को प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर-मंतर पर देखने को मिली। सुशील मानव की खबर