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हिरामन कहते हैं कि कोरवा भाषा शब्दकोश बनाने के पीछे उनका मकसद था कि कोरवा भाषा का उत्थान। इसके लिए बचपन से कोरवा भाषा के जिन शब्दों का संग्रह किया था, उसे पुस्तकाकार दिया। बता रहे हैं विशद कुमार
उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों में मनुस्मृति दहन दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर दलित-बहुजन लोगों ने मनुस्मृति के साथ ही केंद्र सरकार के उन कानूनों की प्रतियां जलाईं जिनसे इन वर्गों के लोगों का अहित होता है। इनमें तीन कृषि कानून भी शामिल रहे। विशद कुमार की खबर
जनगणना प्रपत्र में आदिवासी धर्म के पृथक कोड को लेकर चल रहे आंदोलन को एक नया मुकाम हासिल हुआ है। झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार की पहल पर विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव का आशय यही है कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं। उनका अपना धर्म और अपनी पहचान है। विशद कुमार की खबर
गरीब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले 83 वर्षीय वृद्ध स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है? यह सवाल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूछा है। विशद कुमार की खबर
सामाजिक कार्यकर्ता वंदना टेटे के मुताबिक, जहां तक आदिवासी समाज में डायन के नाम पर की जा रहीं हत्याओं का मामला है उसके कारणों में आदिवासी समाज के भीतर बाहरी तत्वों की घुसपैठ है। इस तरह की घटनाओं में वृद्धि हुई है। आदिवासी समाज कभी एक समूह हुआ करता था अब वह व्यक्तिगत होता जा रहा है। विशद कुमार की खबर
Commemorating the Adivasi warriors who had launched a fierce battle against the British, the landlords and the blood-sucking moneylenders, Vishad Kumar argues that the circumstances that led to the battle remain unchanged
हुल दिवस के मौके पर विशद कुमार याद कर रहे हैं आदिवासी योद्धाओं को, जिन्होंने अंग्रेजों, जमींदारों और सूदखोर महाजनों के खिलाफ लड़ाई का आगाज किया। वे यह भी बता रहे हैं कि जिन परिस्थितियों के बीच संथाल हुल हुआ, वे आज भी आदिवासियों के समक्ष मौजूद हैं
धरती आबा बिरसा मुंडा के शहादत दिवस के मौके पर विशद कुमार बता रहे हैं उन लोगों के बारे में जो आज भी बिरसा की तरह जीते हैं। उनकी तरह सफेद कपड़ा पहनते हैं। उन्हें विश्वास है कि उनके धरती आबा एक दिन जरूर लौटेंगे
विशद कुमार बता रहे हैं झारखंड और ओडिशा के सीमावर्ती जिलों में रहने वाली सबर आदिम जनजाति के बारे में। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में इस जनजाति की आबादी मात्र 9,898 रह गई थी। उनके मुताबिक यह स्थिति राज्य सरकार की इस जनजाति के प्रति उपेक्षा का नतीजा है
A Dalit child who had gone hungry for days died in Jharkhand’s Latehar district on the night of 16 May but the government refused to acknowledge the cause of her death
बीते 16 मई की रात झारखंड के लातेहार में एक दलित बच्ची की मौत भूख से हो गयी। सरकारी तंत्र यह कबूल करने में आनाकानी कर रहा है कि मौत की वजह भूख है। पढ़ें विशद कुमार की जमीनी पड़ताल