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लॉकडाउन के दौरान एक ओर प्रवासी मजदूर, जिनमें बहुलांश दलित, पिछड़े और आदिवासी समुदायों के हैं, तमाम दुख झेल रहे हैं, वहीं इन समुदायों के जनप्रतिनिधि मौन धारण किए हुए हैं। डॉ. योगेंद्र मुसहर का विश्लेषण