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सेक्यूलर-कम्यूनल के खेल में ओबीसी बुनकर नेता टिकट की दौड़ से बाहर हो गये। हुआ यह कि सेक्यूलर दलों के अशराफ़ मुस्लिमों ने जब मोर्चा संभाला तो बुनकरों की रोज़ी-रोटी के सवाल गायब हो गये। बता रहे हैं जुबैर आलम
पहले नोटबंदी, बाद में जीएसटी और अब कोरोना के कारण बुनकरों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उनके सामने राेजी-रोटी का संकट है। क्या यह संभव नहीं है कि सरकार इनके सवालों पर गंभीरतापूर्वक और सहानुभूतिपूर्वक विचार करे? सवाल उठा रहे हैं जुबैर आलम
सपा में नेतृत्व के स्तर पर अखिलेश यादव के सजातीय लोगों को छोड़ दिया जाये तो अन्य लोगों का प्रतिनिधित्व कम है। पिछड़े और वंचित वर्ग से हमदर्दी का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी का यह रूप बहुत कुछ कहता है। बता रहे हैं जुबेर आलम
Reports of Mandal and Rangnath Mishra Commissions or for that matter the Sachar Committee are rarely discussed in debates on TV news channels. That is because these reports focus on the deprived sections of the Muslims – a class which the so-called representatives of the community wish to ignore, writes Zubair Alam
भारतीय न्यूज चैनल मंडल कमीशन, सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा कमीशन आदि पर बात करते नहीं क्योंकि इन रिपोर्टों में मुस्लिमों के वंचित तबक़ों का ज़िक्र है। यह अपनी सामाजिक संरचना को बदलना नहीं चाहते इसलिये अपने अंदर मौजूद वंचित तबक़ों एवं उनके जायज़ सवालों को नकारते हैं। बता रहे हैं जुबैर आलम
लेखक जुबैर आलम सवाल उठा रहे हैं कि किस प्रकार सपा और बसपा जैसी पार्टियों ने मुसलमानों के वोटों का केवल सत्ता के लिए इस्तेमाल किया। जबकि उनके सवाल सवाल ही रहे
Zubair Alam writes that India’s OBC leadership is predominantly Hindu and there are few, if any, Muslims in its ranks. He seeks an explanation from OBC leaders about why, in the past 30 years, no Muslim could emerge as an OBC leader
लेखक जुबैर आलम बता रहे हैं कि ओबीसी नेतृत्व में आपको हिन्दू नेता मिल जायेंगे लेकिन आपको ठीक से चार मुस्लिम नेता भी नहीं मिलेंगे जिनकी पहचान ओबीसी नेता की हो। ओबीसी के स्थापित नेतागणों को बताना चाहिए लगभग तीस साल के इस सफर में आखिर क्यों मुस्लिम समुदाय से ओबीसी नेतृत्व सामने नहीं ला पाये?