अनिल चमड़िया ने कहा कि हम बहुजन समाज के लोग अपनी हिस्सेदारी को लेकर जिस तरह से चिंतित रहते हैं आप बताइए कि क्या आप पांच ऐसे बहुजन लेखक बतला सकते हैं, जो हिन्दी भाषा की राजनीति को डौमिनेट करते हों, जो अपने समाज को समझते हों, उनके सवाल को रखते हों? यह आप खोजेंगे तो आपको निराशा हाथ लगेगी। हमें प्रतिनिधि नहीं, प्रतिनिधित्व चाहिए जो हमारे सवालों को हल करने का माद्दा रखता हो। पटना से अरुण आनंद की रपट