‘दो परिस्थितियों में आम आदमी का चरित्र सामने आता है। एक तो तब जब आदमी बड़ा होता है और सार्वजनिक जीवन जीता है और दूसरा तब जब उसकी मृत्यु हो जाती है। कर्पूरी जी के निधन के बाद वे भी जो बिल्कुल अंजान से थे, रो रहे थे कि अब हमारा क्या होगा? रिक्शावाला तक यह कह रहा था– हमारा नेता मर गया।’ पढ़ें, अब्दुलबारी सिद्दीकी का संस्मरण