प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, अपनी रचनाओं के माध्यम से सर्वप्रथम रेणु जी ने अलग-अलग जाति-आधारित राजनीतिक संगठनों की निर्मिति को रेखांकित किया। वे इस बात को जानते थे कि जातियां सीमाएं पैदा करती हैं, इसीलिए यह चाहते थे कि भारत एक जातिमुक्त राष्ट्र बने। अम्बरीन आफताब की खबर