प्रेमचंद का साहित्य एक तरह से अपने समय का ऐसा दस्तावेज है, जिसमें सामाजिक कुरीतियों, धार्मिक पाखंडों, जमींदारों और किसानों के संबंध, औद्योगिकीकरण के दोष, पूंजीवादियों की शोषण नीति, अंग्रेजों के अत्याचार, दहेज, अनमेल विवाह, दलितों का उत्पीड़न, किसान की पीड़ा, जाति-भेद, विधवा विवाह आदि का चित्रण मिलता है। बता रहे हैं युवा समालोचक अनुज कुमार