बीते सप्ताहांत दिल्ली में लाल किले के सामने चांदनी चौक इलाके में रातों-रात एक हनुमान मंदिर बना दिया गया। इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने बीच सड़क बने एक पुराने मंदिर को हटाने का आदेश दिया था। अब रातों-रात बने हनुमान मंदिर के समर्थन में सभी राजनीतिक दलों के नेता उतर आए हैं। इस घटनाक्रम के बहाने भारतीय राजनीति में हो रहे बदलाव को रेखांकित कर रहे हैं भंवर मेघवंशी
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भंवर मेघवंशी अपने अनुभवों के आधार पर बता रहे हैं कि तीनों कृषि कानून, जिनका विरोध किसान दिल्ली की सीमाओं पर कर रहे हैं, वे बड़े किसानों से अधिक छोटी जोत व भूमिहीन किसानों के लिए खतरनाक हैं
Drawing on his personal experience, Bhanwar Meghwanshi argues that the three farm laws, against which the farmers are protesting on the borders of Delhi, are more damaging to small and landless farmers than to their richer counterparts
वह हिंदुत्व, जो संघ की विचारों के मूल में है, स्वतंत्रता का भी विरोधी है। वह मनुष्य पर सामाजिक निर्योग्यताएं लादता है। शूद्र हो अथवा स्त्री या कि अंत्यज, उनको किसी प्रकार की आज़ादी के पक्ष में हिंदुत्व नहीं दिखाई पड़ता है। बता रहे हैं भंवर मेघवंशी
भंवर मेघवंशी के मुताबिक, हिंदुत्व के ध्वजवाहकों और शोषकों का चोली-दामन का साथ रहा है। हिन्दू महासभा हो अथवा संघ अथवा जनसंघ व्यापारियों और राजे-रजवाड़ों की कृपा से अपने संसाधन जुटाते रहे हैं और उनके प्रति नरमदिल भी बने रहे हैं। आरएसएस का तो सबसे बड़ा आर्थिक सहयोग गुरु दक्षिणा के रूप में व्यापारी वर्ग से ही आता रहा है
चूंकि संविधान देश के आदिवासियों, दलितों, अन्य वंचित पिछड़ी जातियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के पक्ष में खड़ा है, इसलिए संघ उसे ही समाप्त कर देना चाहता है और यह कोई ढंकी-छिपी मंशा नहीं है, बल्कि बेहद स्पष्ट है। भंवर मेघवंशी का विश्लेषण
कितना भयावह और क्रूर समय है यह, जब शासन सत्ता यह साबित कर रही है कि हाथरस गैंगरेप पीडिता की जीभ नहीं काटी गई, वह तो गला दबाने की वजह से बाहर निकल गई और पीडिता के दांतों से ही कट गई। मतलब किसी ने जीभ नहीं काटी, वह तो अपने आप ही कट गई। ठीक इसी तरह से बाबरी मस्जिद किसी ने गिराई नहीं, स्वत: ही गिर गई। भंवर मेघवंशी की प्रतिक्रिया
राजस्थान के आदिवासियों द्वारा ‘जय जोहार’ का अभिवादन वहां के संघियों को रास नहीं आ रहा है। इसके संबंध में वे भारतीय ट्राइबल पार्टी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह वही पार्टी है जिसका गठन 2007 में गुजरात के आदिवासी विधायक छोटूभाई वासवा ने की और अब यह पार्टी राजस्थान के आदिवासियों में गहरे पैठ बनाने में कामयाब हुई है। बता रहे हैं भंवर मेघवंशी
भाजपा ने राजस्थान में यह खेल क्यों खेला? राजनीतिक अस्थिरता के लिए भाजपा इतनी बेचैन क्यों नजर आ रही है? क्या इसके पीछे कोई वैचारिक कारण और सरकार के नीतिगत निर्णयों से बन रहे नए राजनीतिक-सामाजिक समीकरण हैं, बता रहे हैं भंवर मेघवंशी
Why is the BJP bent on creating political instability in Rajasthan? Is it for ideological reasons? Is the party rankled by the new sociopolitical equations emerging in the state because of a string of policy decisions taken by the Gehlot government? Bhanwar Meghwanshi analyses the recent developments
Why is the BJP bent on creating political instability in Rajasthan? Is it because of ideological reasons? Or is the party rankled by the new sociopolitical equations emerging in the state because of a string of policy decisions taken by the Gehlot government? Bhanwar Meghwanshi analyses the recent developments