मुकेश सहनी पिछड़ा के बेटा के साथ धोखा जैसी संज्ञा दे रहे हैं। इसका भी एक तार्किक पक्ष हो सकता है, लेकिन सहनी पिछले 6-7 सालों के राजनीतिक कार्यकाल में क्या कर रहे थे? वे भी राजनीतिक लाभ के लिए खेमा बदल रहे थे, सौदा कर रहे थे। पढ़ें, वीरेंद्र यादव का विश्लेषण