राजनीतिक रैलियों का मकसद ही कुर्सी वापसी का संकल्प दुहराना होता है। इसमें नेता के साथ पार्टी और परिवार की राजनीति सुरक्षा का भरोसा भी छुपा होता है
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बिहार की राजधानी पटना के पत्रकार वीरेंद्र यादव ने डिहरी विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में बतौर ताल ठोंकने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि उनकी यह कोशिश पत्रकारिता को पटना के सियासी गलियारे से निकाल गांवों के खेत-खलिहानों तक ले जाने की है
वर्ष 2015 में एनडीए को मिली हार के पीछे एक बड़ी वजह यह रही कि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मोहन भागवत ने संविधान की समीक्षा करने की बात कह दी थी। अब केंद्र सरकार ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दे दिया है। इससे बिहार के दलित और पिछड़े भी आक्रोशित हैं
लालू यादव ने सवर्णों की सामाजिक सत्ता को चुनौती थी और उसकी जड़ को हिला दिया था। इसके खिलाफ सवर्ण गोलबंद होकर नया राजनीतिक विकल्प गढ़ रहे थे। यानी लालू की रणनीति के बीच सवर्णों में संघर्ष की धुकधुकी बची हुई थी। लेकिन नरेंद्र मोदी की चाल से सवर्णों का स्वाभिमान ध्वस्त हो गया
विश्वविद्यालय के बजाय विभागवार आरक्षण का फैसला लागू होने के बाद न काॅलेज में, न विश्वविद्यालय में, न केंद्रीय विश्वविद्यालय में आरक्षण रहेगा। संविधान के माध्यम से एक बड़ा कदम उठाया गया था, वह सब खत्म हो जाएगा और दलित,आदिवासी और ओबीसी को फिर से गुलाम जैसा जीवन जीना पड़ेगा
बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और महुआ के विधायक। अपनी कार्यशैली, फैसलों और यात्राओं को लेकर लगातार चर्चा में रहे हैं। इधर राजद के प्रदेश कार्यालय में दौरे को लेकर चर्चा में हैं
अधिसूचना के अनुसार, विधान मंडल के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण से लेकर एक साल सदस्य रहने वाले व्यक्ति को प्रतिमाह 35 हजार की पेंशन मिलेगी। पहले यह राशि 25 हजार थी। सरकार ने इस मद में 10 हजार रुपये की वृद्धि की है। इसके बाद प्रति वर्ष के हिसाब से 3 हजार रुपये मिलेंगे
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण ने पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आह्वान किया है कि दलित सवर्ण उम्मीदवारों को वोट न दें। उन्होंने जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने और दलितों, पिछड़ों व आदिवासियों को हथियार का लाइसेंस देने की मांग भी की। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
बीते 10 नवंबर 2018 को मुंगेरीलाल आयोग की अनुशंसायें लागू किये जाने की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर एक गोष्ठी का आयोजन पटना में किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने अति पिछड़ा वर्ग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। फारवर्ड प्रेस की खबर :
मुकेश सहनी 4 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में ‘निषाद आरक्षण महारैली’ का आयोजन कर रहे हैं। इस रैली का मकसद निषाद जाति काे अनुसूचित जनजाति में शामिल करना और निषादाें के लिए पर्याप्त आरक्षण की मांग करना है। प्रस्तुत है उनसे फारवर्ड प्रेस की बातचीत के प्रमुख अंश :