किसानों की पीड़ा और श्रमजीवियों के कर्म-सौंदर्य का चित्रण प्रगतिशील साहित्यकारों का प्रमुख विषय रहा है। चाहें वे सवर्ण समुदाय के हों या अवर्ण समुदाय के। प्रेमचंद, निराला, फणीश्वरनाथ रेणु, नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल, शिवमूर्ति, संजीव, राजेन्द्र यादव आदि लेखक और कवि एक ही कतार में खड़े हैं