पसमांदा मुसलमानों के बारे में कंवल भारती की यह किताब प्रकाशित तो 1997 में हुई, लेकिन इसमें उठाए गए सवाल आज भी प्रासंगिक हैं। यह इसके बावजूद कि मुसलमानों की बेहतरी के लिए सच्चर आयोग और रंगनाथ मिश्रा आयोग की रपटें सरकार के पास हैं। बता रहे हैं पसमांदा सामाजिक कार्यकर्ता इमानुद्दीन