उत्तरी सिक्किम में कई अन्य जगहों की तरह ‘द्ज़ुम्सा’ नाम की स्वयं शासन की व्यवस्था है, जिसमें हर परिवार का सदस्य पारंपरिक व्यवस्था के अंतर्गत शहर के प्रशासन में अपना हाथ बंटाता है. इस व्यवस्था में मुखिया ‘पिपोन’ जनतांत्रिक ढंग से निर्वाचित होता है
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इस यात्रा संस्मरण में लेखक जितेंद्र भाटिया बता रहे हैं कि पूरे पूर्वोत्तर में एक खास तरह की जहरीली राजनीति की जा रही है। वे यह आशंका भी व्यक्त कर रहे हैं कि आने वाले समय में इसका विपरीत असर पड़ेगा और यहां के लोगों का जनजीवन प्रभावित होगा
लेखक जितेंद्र भाटिया के मुताबिक भूटान की पहाड़ियों पर आपको अक्सर रंग बिरंगे तिकोने झंडों की भरमार मिलेगी। इनके पांच रंग प्राकृतिक शक्तियों के प्रतीक हैं। सफ़ेद बादल, नीला आसमान, लाल अग्नि, हरा जल और पीला धरती
लेखक जितेंद्र भाटिया ने वर्ष 2016 से लेकर 2018 के बीच असम की कई दौर की यात्राओं के दौरान वहां जंगलों में हो रहे बदलावों और नागरिकता को लेकर मचे घमासान व इसके विभिन्न आयामों का आंखों-देखा वर्णन किया है
जितेंद्र भाटिया बताते हैं कि भारत के उत्तर पूर्व के तराई के इलाकों के लोगों में असीम जीवटता है। ये वही लोग हैं जिन्हें शेष भारत में दोयम दर्जे का माना जाता है। ठिगना कद होने की वजह से उनकी खिल्ली उड़ायी जाती है। परंतु हकीकत तो यह है कि वे सचमुच बहादुर हैं जो प्रकृति को सहेजना भी जानते हैं और विषमताओं के मध्य मुस्कराना भी
खोनोमा का एक ज्वलंत इतिहास भी है और नागाओं की लिखित और मौखिक परम्पराओं में इसका विशेष स्थान है। क्रिश्चियनिटी के प्रभाव में खोनोम के अधिकाँश निवासी अब पढ़ लिख गए हैं। लेकिन आम कश्मीरियों की तरह नागाओं के मन की थाह पाना ज़रा मुश्किल है
Khonoma has an eventful history and enjoys a special place in the written and the oral traditions of the Nagas. Having embracing Christianity over the past century or so, most of the residents of Khonoma are now literate
मिज़ो भाषा में धरती या जन्मभूमि को ‘राम’ कहा जाता है और इसी से मिज़ो आदिवासियों को अपने प्रदेश का नाम –मिज़ो वासियों की धरती—मिज़ोराम मिला है
अरुणाचल प्रदेश के सबसे पूर्वी गाँव डोंग से लोहित नदी चीन से भारत में प्रवेश करती है। नदी के चीनी हिस्से पर कई बाँध बन चुके हैं और दोनों देश के बीच समझौता ज्ञापन के बावजूद पानी के रोकने या छोड़े जाने की कोई जानकारी चीन नहीं देता