शिक्षा एक आंदोलन है। अगर शिक्षा उपर्युक्त लक्ष्यों को पूरा नहीं करती तो वह निरर्थक है। डॉ. आंबेडकर के स्पष्ट विचार थे कि जो शिक्षा आदमी को योग्य न बनाए, समानता और नैतिकता न सिखाए, वह सच्ची शिक्षा नहीं है, सच्ची शिक्षा तो समाज में मानवता की रक्षा करती है, आजीविका का सहारा बनती है, आदमी को ज्ञान और समानता का पाठ पढाती है। सच्ची शिक्षा समाज में जीवन का सृजन करती है। सविस्तार विश्लेषण कर रही हैं मीनाक्षी मीणा :