सूरजपाल चौहान का जाना दलित साहित्य में एक युग के अवसान सरीखा है। अपनी बेबाकी के लिए भी याद किए जाएंगे जो कि न सिर्फ एक निर्भिक लेखक के लिए बेहद अनिवार्य है, बल्कि एक स्वतंत्र और मजबूत लोकतंत्र के लिए भी आवश्यक तत्व है। श्रद्धांजलि स्वरूप स्मरण कर रहे हैं प्रो. नामदेव