बिहार महादलित आयोग के सदस्य रहे बबन रावत को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर सफाईकर्मियों की समस्याएं और सरकारी नीतियों के संदर्भ में राज वाल्मीकि द्वारा उनसे खास बातचीत
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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में वाल्मीकि समाज के कुछ परिवारों ने बीते 14 अक्टूबर को बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। उन्होंने धर्म बदलने का निर्णय जिन कारणों से लिया, उनमें हाथरस के बूलगढ़ी गांव की मनीषा के साथ हुई दरिंदगी भी शामिल है। बता रहे हैं राज वाल्मीकि
यह कांशीराम के सतत आंदोलन का ही परिणाम था कि दलित, आदिवासी, पिछड़े और मुसलमान अपने हक-हुकूक के लिए जागरूक हुए। जब यह आंदोलन चल रहा था तब लोगों का नारा था – ‘कांशी तेरी नेक कमाई, तूने सोती कौम जगाई।’
पन्द्रह दिनों तक जीवन और मौत के बीच झुलती उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद की दलित लड़की मनीषा ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। बीते 14 सितंबर को सामूहिक बलात्कार के बाद आरोपियों ने उसकी जीभ काट ली थी और रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी। इस मामले में भारतीय समाज मौन रहा। बता रहे हैं राज वाल्मीकि
कोरोना और इसके कारण देश में लागू किए गए लॉकडाउन के भयावह परिणाम सबके सामने हैं। महंगाई बढ़ी है और रोजगार के अवसर घटे हैं। आर्थिक हालात गुणोत्तर रूप से बदतर होते जा रहे हैं। इसका सबसे अधिक असर सफाईकर्मी समुदायों पर पड़ रहा है, जिनके बारे में सरकारी तंत्र उदासीन है। इस वंचित समुदाय से जुड़े सवालों को उठा रहे हैं राज वाल्मीकि
मजदूर दिवस के मद्देनजर राज वाल्मिकी उठा रहे हैं सफाईकर्मियों के सवाल। वे बता रहे हैं कि कैसे सफाई मजदूर सरकारी उपेक्षा के शिकार तो हैं ही, समाज के लोग भी उनका अपमान-तिरस्कार करते हैं
मैला प्रथा भारत के लिए कलंक है। इसे गैर-कानूनी घोषित किये हुए 25 वर्ष हो गये, फिर भी सीवर/सेप्टिक टैंक में हत्याओं का दौर जारी है। मैला प्रथा उन्मूलन के लिए संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण इस कलंक को हम ढो रहे हैं। बता रहे हैं राज वाल्मीकि :
Manual scavenging is a stigma on India. It was declared illegal 25 years back. Still, sewer deaths continue. It is not that resources for abolition of manual scavenging are lacking. It is continuing only due to government’s apathy, says Raj Valmiki.
बीते 25 सितंबर 2018 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अति पिछड़ा वर्ग के लोग बड़ी संख्या में जुटे थे। वे अपने वर्ग के लिए एससी और एसटी के जैसे कानूनों की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि अति पिछड़ा वर्ग की हालत एससी और एसटी से भी बदतर है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
1993 से लेकर अबतक 1790 सफाई कर्मियों की मौत सीवरों व सेप्टिक टैंकों की सफाई करने के दौरान हो चुकी है। हाल के दिनों में दिल्ली में 6 सफाईकर्मियों की मौत हुई। इसके विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर सफाई कर्मियों ने प्रदर्शन किया और सरकार के समक्ष अपने सवाल व मांगें रखी। फारवर्ड प्रेस की खबर :