संघ परिवार को इस ‘हिंदू सामाजिक न्याय’ की राजनीति से कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि वह देख रहा था कि मुसलमानों के वोट का इस्तेमाल करके यह राजनीतिए हिंदू धर्म के कमजोर तबकों कोए जो आरक्षण का लाभ उठाकर आर्थिक तौर पर मजबूत हो रहे थे, राजनीतिक तौर पर मजबूत कर रही है