‘आजादी मुझे प्यारी है, लेकिन पहले सामाजिक आजादी चाहिए। मैं इस देश की राजनीतिक आजादी से ज्यादा जरुरी अपने करोड़ों अछूत भाइयों की सामाजिक आजादी समझता हूं। हम भी इंसान हैं, इंसान होने के नाते सभी नागरिक अधिकारों के हकदार हैं और जब तक सारे अधिकार हासिल नहीं कर लेते हैं, हमें चैन से नहीं बैठना चाहिए। हम अपने उचित मानवीय अधिकारों को खुद हासिल करेंगे, यही हमारा मकसद होना चाहिए।’ यही कहा था डॉ. आंबेडकर ने 28 जून, 1931 को अहमदाबाद की एक सभा को संबोधित करते हुए। बता रहे हैं आर. के. गौतम