जिस तरह कभी-कभार कुछ चुनिंदा मसलों पर रक्षित सिंह और शांताश्री सरकार जैसे पत्रकारों के इस्तीफ़े होते हैं, उस तरह दलित-आदिवासी और पिछड़ों के मसलों पर कोई पत्रकार इस्तीफ़ा क्यों नहीं देता? सवाल उठा रहे हैं सुमित चौहान
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