रामजी यादव की कहानियों में ज्यादातर, छूट चुका और थका वक्त है जो, वर्तमान की अंगुली से चिन्हित किए जाने को अभिशप्त है। रामजी यादव के कहानी संग्रह, “आधा बाजा” से गुजरते हुए समय के उस गूढ़ मकड़जाल को समझा जा सकता है जिनके छल-बल, चिंघाड़ मार रहे हैं। बता रहे हैं सुभाषचंद्र कुशवाहा