ध्यातव्य है कि इसी नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 2013 में शुरू की गई चार वर्षीय पाठ्यक्रम को वापस कर दिया था। देखने वाली बात यह कि 2014 में जारी चार वर्षीय पाठ्यक्रम को जबरन वापस कराने वाली सरकार आखिर उसी प्रारूप को पूरे देश में क्यों लागू कर रही है? बता रहे हैं डॉ. सुधांशु कुमार