गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक दादा हीरा सिंह मरकाम का निधन बीते 28 अक्टूबर को हो गया। आज गोंड भाषा, संस्कृति और साहित्य के अध्येता आचार्य मोतीरावण कंगाली की पुण्यतिथि है। इन दोनों शख्सियतों को कोइतूर समुदाय के लोग “हीरा-मोती” कहते थे। इनके योगदानों को याद कर रहे हैं डा. सूर्या बाली
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भारत में होली का मूल स्वरुप और वैज्ञानिक अवधारणा शायद ही कोई जानता हो। सूर्या बाली बता रहे हैं कि यह कोइतुरों का शिमगा सग्गुम पर्व हैं, जो वास्तव में हिंदुओं का नहीं बल्कि कोइतूरो का शुद्ध कृषि प्रधान त्यौहार है, जिसके पीछे एक विज्ञान भी है
डॉ. मोतीरावण कंगाली गोंडी भाषा, साहित्य, संस्कृति और धर्म के अध्येता रहे। उनके गहन शोधों के कारण भारत की गैर-आर्य संस्कृति और परंपराओं को लेकर आज नयी समझ बनी है। उनके बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं सूर्या बाली
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम का मानना है कि शिक्षा गोंड आदिवासियों के लिए सबसे जरूरी है। वे एक ऐसी शिक्षा का प्रस्ताव कर रहे हैं जो सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से उत्कृष्ट बनाए। सूर्या बाली की उनसे विशेष बातचीत
लेखक सूर्या बाली बता रहे हैं कि मध्य भारत के मूलवासियों द्वारा मनाया जाने वाला पोला पर्व को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं। मसलन इसे हिन्दू देवता विष्णु से जुड़ा बताया जा रहा है। जबकि यह कोइतूर समाज के लोगों की अपनी परंपरा है
लेखक सूर्या बाली बता रहे हैं कि कैसे बादल भोई ने जंगलों पर अंग्रेजों के कब्जे का विरोध किया था और एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उन्हें वह जगह नहीं दी गयी जिसके वे हकदार थे
जनजातियों के संबाेधन के लिए बहुत सारे शब्द प्रयोग में लाए जाते हैं। जैसे मूलनिवासी, देशज, वनवासी, गिरिवासी, गिरिजन, जंगली, आदिम, आदिवासी इत्यादि। लेकिन, इन सबमें आदिवासी शब्द बहुत ही नकारात्मक और अपमानजनक है। सूर्या बाली ‘सूरज’ का विश्लेषण :
The Scheduled Tribes are addressed by a variety of terms – Mulnivasi, Deshaj, Vanvasi, Girivasi, Jungli, Adim and Adivasi. But of all the terms, Adivasi is the most negative and obnoxious, writes Surya Bali