मान्यवर कांशीराम अपने कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविरों में कहा करते थे कि ‘जिन लोगों की गैर-राजनीतिक जड़ें मजबूत नहीं हैं वे राजनीति में सफल नहीं हो सकते’। इसी संदर्भ में मान्यवर ने दलित समाज के इतिहास का निर्माण शुरू किया। जो भी इतिहास उन्हें मिला, वह दलितों के शोषण और उसके खिलाफ उनके संघर्ष का इतिहास था