
इस अंक में
- साहित्य में त्रिवेणी संघ और त्रिवेणी संघ का साहित्य
- खडी बोली ने बहुजन साहित्य को हाशिये पर डाला
- बहुजन समाज और मुख्यधारा का साहित्य
- धूमिल : स्त्री देह के मर्दवादी विमर्श का कवि
- ओबीसी साहित्य का गौरवशाली इतिहास
इस अंक में आप पाएंगे हिंदी साहित्य को ‘बहुजन आलोचना दृष्टि’ से देखने वाले विचरोत्तेजक लेख, कहानियां, कविताएं और संस्मरण। एक पठनीय और संग्रहणीय अंक। आज ही अपने निकटवर्ती स्टॉल से प्राप्त करें।