छत्तीसगढ़ के ब्राह्मण समाज के लोगों ने भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके लिए वे उनके पिता नंदकुमार बघेल को माध्यम बना रहे हैं। उनका कहना है कि नंदकुमार बघेल के विचारों से उनका ब्राह्मणवाद छलनी हो रहा है। बता रहे हैं गोल्डी एम. जॉर्ज
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प्रकाश आंबेडकर के अनुसार सीएए-एनपीआर-एनआरसी आरएसएस के मूल वैदिक मनुवादी दर्शनशास्त्र को भारत में पुनः स्थापित करने का ज़रिया हैं। यदि भारत में यह दमनकारी कानून लागू हुआ तो विश्व समुदाय के बीच नागरिकता के सवाल पर नकारात्मक संदेश जाएगा। संभव है कि दूसरे देशों में रहने वाले भारतीयों को मिलने वाले अधिकार छीने लिए जाएं
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण के सन्दर्भ में दिए गए फैसले का सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक दुष्प्रभाव समाज के कमजोर और उपेक्षित वर्गों के ऊपर सीधे तौर पर पड़ेगा। यह फैसला संविधान की मूल भावना का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन करता है। ओमप्रकाश कश्यप का विश्लेषण
कुमार समीर के साथ साक्षात्कार में राज्यसभा सांसद पी.एल. पुनिया बता रहे हैं कि सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए नौकरी के अवसर सीमित किए जा रहे हैं। यहां तक कि रेलवे में भी जहां नौकरियों की भरमार होती थी, अब निजी क्षेत्र की कंपनियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह बहुजनों के साथ हकमारी है
In an interview with Kumar Sameer, Rajya Sabha member P.L. Punia says that outsourcing of services is shrinking job opportunities in government departments. He notes that even the Railways, a major employer, are encouraging private-sector participation
लेखक कंवल भारती बता रहे हैं कि एससी में शामिल जातियों के लिए तीन महत्वपूर्ण मानदंड हैं। इनमें गौमांस खाना, छुआछूत का शिकार होना और जिनका पौरोहित्य ब्राह्मण द्वारा नहीं किया जाना शामिल है
जंतर-मंतर का नजारा बदला-बदला था। सफाई कर्मियों की मांगों को लेकर कुछ दलित-संगठनों ने अनूठा प्रदर्शन किया। मीडिया कर्मियों की भेड़िया-धसान भीड़ तो आश्चर्यजनक थी ही, सफाईकर्मियों की मांगें भी दर्शन रत्न ‘रावण’ के जयकारों में गुम हो गईं
पदोन्नति में आरक्षण संबंधी फैसले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने क्रीमी लेयर लागू करने की बात कही है। भारत सरकार के पूर्व नौकरशाह पीएस कृष्णन ने जून 2012 में ही सरकार को आगाह किया था। उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त निरस्त करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक लाने का सुझाव दिया है
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल पर जातिवाद के आरोप लग रहे हैं, कहा जा रहा है कि उम्मीदवारों के चुनाव में वे जाति के कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। माना यह जाता रहा है कि जनसंघर्षों से निकली यह पार्टी जाति-पांति की राजनीति से परे हैं। हकीकत क्या है? फॉरवर्ड प्रेस की रिपोर्ट
There are allegations of Arvind Kejriwal and his Aam Aadmi Party resorting to casteism to win elections. But the widely held belief still is that this party, born of a mass movement, is beyond the politics of caste. What is the reality? A report by Forward Press
आरक्षण एक हथियार है सामाजिक गैर-बराबरी से उबरने का। हाशिये पर मौजूद लोगों को सबल बनाने लिए लिए यह न केवल जरूरी है बल्कि इसको और बढ़ाए जाने की जरूरत है। तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण को वैध ठहराना इस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। पढ़िए यह रपट :
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हिन्दू जाति-समस्या धार्मिक धारणाओं पर टिकी हुई है। अतः बिना इन धारणाओं को अर्थात् बिना इन धर्मशास्त्रों को नष्ट किए जाति का विनाश असम्भव है। चूंकि तथाकथित हिन्दू सुधारवादी इन धर्मग्रन्थों को भी रखना चाहते हैं तथा सामाजिक सुधार भी करना चाहते हैं इसलिए हिन्दू धर्म में समाज सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बचती है। बी. आर. विप्लवी की समीक्षा :