सबसे पहले ईश्वर और उसके बाद मेरी जीवन साथी, मुटठीभर फारवर्ड प्रेस कर्मियों और नित विस्तृत हो रहे फारवर्ड परिवार, जिसमें, प्रिय पाठक, आप भी शामिल हैं, की मदद से हम तूफानों से अपनी किश्ती निकाल लाएं हैं और अब सफलता के नजदीक पहुंच गए हैं। अगर आप अब तक फारवर्ड परिवार से नहीं जुड़े हैं तो यही वह समय है जब आपको इससे जुड़कर, हम भारतीयों की असली जड़ों और असली इतिहास की खोज की रोमांचक यात्रा में हमारे साथ हो लेना चाहिए और इस समाज के सभी सदस्यों को असली स्वतंत्रता और गरिमा दिलाने की लड़ाई में भागीदारी करनी चाहिए।