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प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े के मुताबिक़, सरकार का यह आदेश महज़ दिखावा है। इनका कहना है कि योग्यता के बहाने तमाम सरकारी संस्थान आरक्षण लागू करने से बचते रहे हैं। योग्य व्यक्ति न मिलना अपने आप में बेकार बहाना है
Bahujan youth should opt for a career in the higher education sector, where the average monthly salary is between Rs 1-2 lakh
दलित-बहुजन युवाओं को कैरियर के लिये उच्च-शिक्षा का रुख करना चाहिए। इस क्षेत्र में औसत वेतन 1 से 2 लाख रुपये के बीच है। देखें चार्ट
एससी-एसटी व ओबीसी, कुल मिलाकर, भारत की आबादी का 75 प्रतिशत हैं। अगर वे भारत की शेष 25 प्रतिशत आबादी के समकक्ष शैक्षणिक अहर्ता हासिल करने के बाद भी, किन्हीं पदों पर नियुक्ति के लिए ‘अनुपयुक्त’ पाए जाते हैं, तो इस देश के लोगों की योग्यता और प्रतिभा के बारे में क्या कहा जाये!
प्रतिनिधित्व होगा तभी सभी वर्गों का हित होगा। छत्रपति शाहु महाराज के दिमाग में भी यही बात थी और इस बात को डॉ. आंबेडकर ने भी आगे बढ़ाई, लेकिन अब आरक्षण को खत्म करने की कोशिश हो रही है
कांग्रेस, वामदलों और भाजपा की तर्ज पर आम आदमी पार्टी ने भी कॉलेज शिक्षकों, रिसर्च स्कॉलर्स व कर्मचारियों के लिए अलग-अलग संगठन बनाने की घोषणा कर दी है
Union HRD minister tells agitating research scholars that an official announcement will be made soon
एकबार फिर रिसर्च स्कॉलरों को आश्वासन ही हाथ लगा है। अब केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जल्द ही फेलोशिप की राशि में वृद्धि की घोषणा होगी
रिसर्च स्कॉलरों ने 24 दिसंबर को केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन से मुलाकात की और उन्हें एकबार फिर आश्वासन ही मिला। अब उनकी उम्मीदें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पर टिकी हैं
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
2019 के चुनावी महासमर में जाने से पहले केंद्र उच्च शिक्षण संस्थानों में लोकपाल की भर्ती को लेकर गंभीर है। वह पहले से मौजूद नियमों में बदलाव करने की तैयारी में है और आगामी 29 नवंबर तक संशोधनों को सुझावों के लिए रखने वाली है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के कई दलित-बहुजन शोधार्थी आमरण अनशन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जातिगत दुर्भावना के तहत उनके शोध प्रबंध स्वीकार नहीं किये जा रहे हैं। फारवर्ड प्रेस की खबर :