केरल के एक उच्च जातीय परिवार में जन्मे पी. एस. कृष्णन ने बतौर आईएएस अधिकारी दलित-बहुजनों के लिए काम किया। उन्होंने यह साबित किया कि नौकरी में रहते हुए वंचित जनता के पक्ष में सरकारी नीतियों का निर्माण व उनका अनुपालन कैसे कराया जा सकता है। बीते 10 नवंबर 2019 को दिल्ली में उनका निधन हो गया
Born into an upper-caste family in Kerala, P.S. Krishnan worked for upliftment of the Dalitbahujans during his time in the IAS. He proved that even a civil servant could play a significant role in the formulation and implementation of government policies for the wellbeing of the deprived. He passed away in Delhi on 10 November 2019
नगा गुटों और केंद्र सरकार के बीच पिछले 20 वर्षों से गतिरोध जारी है। इसे लेकर 23 फरवरी को नगालैंड के निवासियों की ओर से एक प्रदर्शन मार्च दिल्ली में निकाला गया। इस दौरान लोगों ने केंद्र सरकार से लोकसभा चुनाव के पहले शांति वार्ता कर सम्मानजनक समधान निकालने की मांग की
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केंद्र सरकार के विधेयक को लोकसभा में पारित किया जा चुका है। अब राज्यसभा में इसका विरोध करने की तैयारी है। विपक्ष के मुताबिक सरकार की इस नीति के शिकार सबसे अधिक दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग के बच्चे होंगे
केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने 17 दिसंबर 2018 को जनहित के कई फैसले लिये। इनमें एक फैसला आदिवासियों से जुड़ा है। सरकार हर उस प्रखंड में एकलव्य मॉडल स्कूल खोलेगी जहां आदिवासियों कीा आबादी 20 हजार हो या फिर आधी आबादी हो
रिसर्च स्कॉलर्स की फीस बढ़ोतरी को लेकर दी गई दूसरी डेडलाइन की भी मियाद अब पूरी होने वाली है। लेकिन अभी तक इस दिशा में सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं
यूजीसी की जगह एचईसीआई की तैयारी है। मसौदा देशभर के विश्वविद्यालयों और अन्य यूजीसी फंडेड संस्थानों में भेजा गया है कि वो करार पर दस्तखत करें। इससे विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता छिनेगी और यूजीसी की जगह कर्ज देने वाला बैंक खड़ा हो जाएगा। सरकार की इस पहल का प्राख्यात शिक्षाविद आनंद कृष्णन ने विरोध किया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जहां एक ओर आधार कार्ड को आम आदमी की पहचान के रूप में मान्यता दी है। वहीं उसने सरकार को भी चेताया है कि वह डेटा की सुरक्षा को पुख्ता करे। साथ ही कोर्ट ने मोबाइल और बैंक खातों को आधार से लिंक करने की अनिवार्यता समाप्त करने का आदेश दिया है। फारवर्ड प्रेस की खबर
प्रगतिशील पत्र-पत्रिकाओं व शोधपरक जर्नल्स को ब्लैकलिस्ट करके सरकार खुद अपने को बदनाम कर रही है। आने वाले समय में नई पीढ़ी, बच्चे और लोग क्या कहेंगे? क्या सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों की आवाज नहीं सुनना चाहती
By blacklisting progressive newspapers, magazines and research-based journals, the government is doing itself a great disservice. What would the next generation say? Does the government not want to hear the voice of the Dalits, the backwards and the tribals?
यूजीसी एकबार फिर अपने अपराध को स्वीकार करने के बजाय ‘पीयर रिव्यू’ का भ्रम फैला रहा है। ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित इस खबर और बौद्धिक जगत में यूजीसी की आलोचनाओं के बारे में बता रहे हैं कमल चंद्रवंशी :
Instead of admitting its mistake, the UGC is trying to muddy the waters further by talking of peer review. A report published in The Hindu has contributed to its efforts. Kamal Chandravanshi investigates
इस शब्द के उपयोग से अछूतों के आंदोलनों में बडी संख्या में अन्य पिछडा वर्ग के लोग भी शामिल हो जाते हैं, जिससे उनकी ताकत बढ जाती है। अगर इन्हें अनुसूचित जाति के नाम से संबोधित किया जाए तो इनके आंदोलन कमजोर हो जाएंगे। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
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