राजस्थान के आदिवासियों द्वारा ‘जय जोहार’ का अभिवादन वहां के संघियों को रास नहीं आ रहा है। इसके संबंध में वे भारतीय ट्राइबल पार्टी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह वही पार्टी है जिसका गठन 2007 में गुजरात के आदिवासी विधायक छोटूभाई वासवा ने की और अब यह पार्टी राजस्थान के आदिवासियों में गहरे पैठ बनाने में कामयाब हुई है। बता रहे हैं भंवर मेघवंशी
–
भाजपा ने राजस्थान में यह खेल क्यों खेला? राजनीतिक अस्थिरता के लिए भाजपा इतनी बेचैन क्यों नजर आ रही है? क्या इसके पीछे कोई वैचारिक कारण और सरकार के नीतिगत निर्णयों से बन रहे नए राजनीतिक-सामाजिक समीकरण हैं, बता रहे हैं भंवर मेघवंशी
Why is the BJP bent on creating political instability in Rajasthan? Is it because of ideological reasons? Or is the party rankled by the new sociopolitical equations emerging in the state because of a string of policy decisions taken by the Gehlot government? Bhanwar Meghwanshi analyses the recent developments
अनुराग मोदी विस्तार से बता रहे हैं कि ऐसे समय में जब देश के मजदूर सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे थे, सरकार ने उन्हें उनके हाल पर तो छोड़ ही दिया और कुछ देने के बजाय उनके अधिकार भी छीन लिये। ना तो मजदूर अपने वेतन को लेकर, ना बोनस को लेकर और ना ही अपनी सुरक्षा व अन्य मांगों को लेकर कुछ कह पाएंगे और ना ही हड़ताल कर सकेंगे
At a time when the toiling classes of the country were looking to the government for succour, they were not only left to fend for themselves but also stripped of their basic rights. Now they will neither be able make demands related to their wages, bonus and security at the workplace nor go on strike
राजस्थान के श्रीगंगानहर स्थित भगवती कन्या जाटान महाविद्यालय ने “हंस” और “पूर्वकथन” पत्रिकाओँ के साथ मिलकर 11 अक्टूबर को दो दिवसीय सेमिनार और संगोष्ठी आयोजित की है। इसमें दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के बेहतर भविष्य को लेकर शिक्षक-छात्र समुदाय विचार करेगा। कमल चंद्रवंशी की खबर
ब्राह्मणवादी पितृसत्ता के नशे में चूर दबंग राजपूतों से यह बर्दाश्त नहीं हुआ कि एक दलित लड़की बग्घी पर सवार होकर गांव से गुजरे। दबंगों ने लड़की और उसके परिजनों पर जानलेवा हमला किया। इस घटना में उसके पिता और भाई सहित तीन लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए
दलित समुदाय के युवा भी उद्यमी बन सकते हैं। राजस्थान के लकी नरेश एक उदाहरण हैं। पत्रकारिता छोड़ ई-बिजनेस के क्षेत्र में पैर बढ़ाने वाले लकी नरेश दलित-बहुजन समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन भी कर रहे हैं
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीनों राज्यों में भाजपा की साख दांव पर लगी है। जीत और हार का आधार बहुजनों का मत है। पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बहुजन अपनी राजनीतिक एका मजबूत कर पायेंगे, जिसकी सुगबुगाहट ने भाजपा और कांग्रेस दोनों की नींद उड़ा दी है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
हिंदुत्ववादी संगठनों के लिए तिरंगा का कोई महत्व नहीं है। राजस्थान के सिरोही जिले में जब एक आदिवासी प्रोफेसर ने भगवा झंडा फहराये जाने का विरोध किया तब उलटे उन्हें ही देशद्रोही कह उत्पीड़न किया जा रहा है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
दलित अधिवक्ता प्रह्लाद मेघवाल ने दलितों के साथ भेदभाव की फारवर्ड प्रेस में छपी खबर को व्हाट्सअप ग्रुप में शेयर किया था। इसे लेकर जाति विशेष के लोगों ने थाने में शिकायत दर्ज करायी थी। लगातार पुलिस पर गिरफ्तारी का दबाव भी बनाया जा रहा था। लेकिन एसडीएम कोर्ट ने प्रह्लाद को निर्दोष माना। बता रही हैं प्रेमा नेगी :
In Pratapgarh, Rajasthan, Dalit lawyer Prahad Meghwal had shared a news piece about Brahmins in Kerala practising Untouchability even during the floods. A complaint was filed against him for ‘hurting religious sentiments’ and the police were under pressure to arrest him, but the SDM court found him innocent. Prema Negi reports:
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के दलित विकलांग अधिवक्ता प्रह्लाद मेघवाल के खिलाफ फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित खबर शेयर किये जाने पर जाति विशेष के लोगों द्वारा शिकायत दर्ज कराया गया था। पुलिस की दबिश और असमाजिक तत्वों के दबाव के बीच उन्होंने माफी मांग ली। लेकिन अब भी वे दहशत में जी रहे हैं। उन्हें डर है कि वे और उनके परिजन मॉब लिंचिंग के शिकार न हो जायें