यह किताब जल्द ही बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। यह किताब उन सभी के लिए महत्वपूर्ण है जो भारत में सामाजिक न्याय की अनिर्वायता को जानते-समझते हैं। फिर वे चाहे अध्येतागण हों या फिर प्रशासनिक अधिकारी व राजनीतिक कार्यकर्ता
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आज की पार्टियां इस बात को बखूबी समझती हैं कि अगर उन्हें सफल होना है तो उन्हें राजनीति को सामाजिक न्याय की दिशा में ले जाना पड़ेगा। बिहार के अलावा अन्य हिंदी भाषी राज्यों में भी इस तरह की राजनीति दिखाई पड़ेगी। पढ़ें, सीएसडीएस के निदेशक व प्रख्यात चुनावी विश्लेषक प्रो. संजय कुमार से विशेष साक्षात्कार
Today, the political parties know very well if they are to succeed, they will have to have to steer their politics towards social justice. This is true not only of Bihar but also other Hindi-belt states, says Sanjay Kumar, well-known poll analyst and director of CSDS
गत 10 नवंबर 2019 को भारत सरकार में सचिव रहे पी. एस. कृष्णन का निधन हो गया था। उनकी स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने संबोधित किया और उन्हें सामाजिक न्याय का चैंपियन व धर्म-योद्धा बताया
जेएनयू के संबंध में सरकार प्रायोजित दुष्प्रचार और इस यूनिवर्सिटी के पतन को लेकर प्रोफेसर अभिजीत पाठक और प्रोफेसर अपूर्वानंद ने मार्मिक लेख लिखे हैं, जो क्रमश: द वायर और इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित हुए हैं। फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन उनके विमर्श को आगे बढाते हुए, इस संघर्ष को गैर-अकादमिक दुनिया के बुद्धिजीवियों, समाज-संस्कृति कर्मियों तथा सामाजिक न्याय की लडाई से जोड़ने की आवश्यकता बता रहे हैं
Prof Avijit Pathak and Prof Apoorvanand have written two poignant pieces on the government-sponsored maligning of JNU and the fall of the university, published in The Wire and the Indian Express, respectively. Taking the discourse forward, Forward Press managing editor Pramod Ranjan emphasizes the need for those fighting to save the university to identify with intellectuals from outside academia, socio-cultural workers and the battle for social justice
विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे प्रवीण तोगड़िया इन दिनों सामाजिक न्याय की शक्तियों को अपने साथ जोडने में जुटे हैं। अपनी नवगठित ‘हिंदुस्थान निर्माण दल’ के बैनर तले उन्होंने इस बार 100 लोकसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं
पी. एस. कृष्णन, एस.आर. शंकरन, डॉ. बी.डी. शर्मा और डॉ. भूपिंदर सिंह की यह कहानी बता रहे हैं स्वयं पी.एस. कृष्णन। उनके मुताबिक, आईएएस अधिकारियों को प्रताड़ना के खतरे से डरे बगैर, निर्भीकता से पददलितों के लिए काम करना चाहिए। अगर उन्हें वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए निष्ठापूर्वक और बिना कोई समझौता किए काम करने के लिए प्रताड़ित किया जाता है तो इसे उन्हें अपने सम्मान और अपनी सेवाओं की मान्यता के रूप में देखना चाहिए
पी. एस. कृष्णन ने आईएएस अधिकारी बनने के बाद अपनी पोस्टिंग के दौरान ही सामाजिक न्याय के पक्ष में कई पहल की। इसके बदले उन्हें कई बार अपमान भी झेलना पड़ा। फिर एक दिन ऐसा भी हुआ कि आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें केंद्रीय सेवा में भेजने की सिफारिश की
भारत में नौकरशाही, समूल सामाजिक परिवर्तन की राह में बाधा नहीं बन सकती अगर राजनीतिज्ञ, विशेषकर वे जो सत्ता में हैं, क्रन्तिकारी सामाजिक परिवर्तन के पक्षधर और अन्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के प्रति प्रतिबद्ध हों
बीते 10 नवंबर 2018 को मुंगेरीलाल आयोग की अनुशंसायें लागू किये जाने की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर एक गोष्ठी का आयोजन पटना में किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने अति पिछड़ा वर्ग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
भारतीय प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी रहे पी. एस. कृष्णन भारत में बहुजनों के लिए बने कई कानूनों और योजनाओं के सृजनकार रहे। फिर चाहे वह मंडल कमीशन का मसौदा हो या फिर एससी-एसटी एक्ट का। उनसे जुड़े अपने संस्मरण सुना रहे हैं दलित लेखक मोहनदास नैमिशराय :
P. S. Krishnan, a former secretary to the Government of India, has worked on many laws and projects for the welfare of the Bahujans, whether it is the draft report of the Mandal Commission or the Bill that became the SC-ST Act. Dalit writer Mohandas Nemishrai remembers his interactions with Krishnan