संघ परिवार की प्रतिक्रियावादी एंव प्रतिगामी संस्कृति का मूल तत्व ब्राह्मणवादी और पूंजीवादी पतनशील संस्कृृति है। इन पतनशील संस्कृतियों के गठजोड़ का घना अंधकार भारतीय समाज पर छा रहा है। इस अंधकार को भेदने और वैकल्पिक प्रगतिशील मानवीय संस्कृति के सृजन हेतु मार्क्सवाद और आंबेडकर की विचारधारा ही हमारी मशाल है, इस आह्वान के साथ जनवादी लेखक संघ का नवां राष्ठ्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ। प्र्स्तुत है सम्मेलन की रिपोर्ट