अनुसूचित जातियों में राजनीतिक बिखराव उनके सशक्तिकरण में सबसे बड़ा बाधक है। आवश्यकता इस बात की है कि उच्च दलितों को चाहिए कि वे पिछड़े अनुसूचित दलितों की पीड़ा को समझे और आगे बढ़ने में उनकी सहायता करें न कि उनके अधिकार पर कब्जा करें
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पालि व्याकरण के अनुसार, ‘दलित’ शब्द दल+इत से बना है। अगर हम ऐसे ही उच्चारण वाले कुछ शब्दों को देखें। मसलन, ‘दमित’,’शोषित’, ‘शोभित’, ‘रक्षित’और ‘पतित’ तथा इसका व्युत्पत्तिक अर्थ निकालें तो हम पाएंगे कि इनमें ‘इत’ का मतलब ‘होना’ या ‘का हिस्सा होना’ है। इस प्रकार दलित ‘दल का हिस्सा होना’ का अर्थ सूचित करता है
In college, I got a new identity, ‘Siddu’ – a nickname originating from the word ‘Scheduled’ used for students belonging to the reserved category. Students and teachers alike used the nickname casually. Our resistance to this daily discrimination and exposure to knowledge turned us into the ‘Dalit’, the comradeship of the downtrodden, writes Bhupendra Singh Pawar
भाजपा सांसद डॉ. उदित राज ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावती रूख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बयान की आलोचना की तथा पदोन्नति में आरक्षण संबंधी फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी पर क्रीमी लेयर लागू करने के फैसले का विरोध किया। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
बीते 26 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ठीक एक दिन बाद सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने संसदीय समिति को एक टास्क सौंपा है। उसे यह विचार करने के लिए कहा गया है कि नौकरियों में एससी-एसटी को मिलने वाले आरक्षण में क्रीमी लेयर को लागू किया जा सकता है अथवा नहीं। फारवर्ड प्रेस की खबर
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सरकारी कर्मियों को सामाजिक भेदभाव का शिकार नहीं होना पड़ता है। एक बार सरकारी नौकरी प्राप्त होने पर वे इतने संपन्न हो जाते हैं कि उन्हें आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। आरक्षण विरोधियों के इन तर्कों को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने खारिज किया। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
सुप्रीम कोर्ट की पीठ को इस बात पर भी अपना रुख स्पष्ट करना है कि एससी-एसटी के लोगों में पिछड़ापन अभी भी कायम है और वे इतने पिछड़े हैं कि उन्हें पदोन्नति में आरक्षण की जरूरत है। परंतु क्रीमी लेयर का मामला भी महत्त्वपूर्ण है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
The Constitution bench of the Supreme Court has to clarify its stand on whether the backwardness among SCs and STs persists to the extent that they need reservation in promotion. Besides, the issue pertaining to the creamy layer among SCs and STs is also vital. A Forward Press report
महाराष्ट्र में दलित आंदोलन की राजनीति से निकले रामदास आठवले अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। एससी-एसटी एक्ट को लेकर भड़के सवर्णों की परवाह न करते हुए उन्होंने एक बार फिर पदोन्नति में आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है।
इग्नू ने नए सत्र से अनुसूचित जाति-जनजाति के युवाओं को निःशुल्क प्रवेश देने की घोषणा की है। यह इस वर्ग के ऐसे छात्रों के लिए बहुत मददगार साबित होगा जो काम करते हुए आगे की पढाई जारी रखना चाहते हैं। पढ़िए यह रपट :
This decision by the university will bring much-needed relief to students from these communities who often have to work to pay for their studies
भारत में शिक्षा का द्वार शूद्रों-अतिशूद्रों के लिए हजारों वर्षों तक बंद रहा। आरक्षण के प्रावधान से यह दरवाजा थोड़ा खुला। इन वंचित तबकों को बराबरी के स्तर पर प्रतिनिधित्व मिलता, इससे पहले ही सरकारों ने चोर दरवाजे से आरक्षण खत्म करना शुरू कर दिया, यह सब कुछ कैसे घटित हो रहा है, बता रहे हैं चन्द्रभूषण गुप्त :
For thousands of years, the doors of education have been shut to Shudras and Atishudras. Reservations opened these doors just a little. Before the deprived people have got representation on a par with the others, governments are now withdrawing reservations through the backdoor. Chandrabhushan Gupt explains how this is happening
विश्वविद्यालयों में एसी-एसटी और ओबीसी शिक्षकों की नियुक्ति के मार्ग में अड़ंगा डालने का यूजीसी का एक नया प्रस्ताव, गेंद मानव संसाधन मंत्रालय के पाले मे
The UGC has suggested department-wise reservations in universities. Now, the ball is in the Ministry of Human Resources’ court