उत्तर प्रदेश के गोरखपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास अलहदा रहा है। सामंती वर्चस्व के प्रतीक बन चुके मठ और सामंतों के हातों, जिसे हम चाहें तो किला भी कह सकते हैं, में यहां की सियासत तय होती रही है। लेकिन अब यह बदल रही है। सुशील मानव बता रहे हैं नाथ पंथ के प्रसिद्ध स्थान गोरखपुर का राजनीतिक व सामाजिक परिदृश्य
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अगड़ी जातियों की दबंगई और वंचितों का उत्पीड़न योगी सरकार का मुहावरा बन गया है। प्रतापगढ़ और आजमगढ़ की घटनाएं इसकी गवाह हैं। पहले सामंतवादियों द्वारा यादव, पासी और कुर्मी बिरादरी के लोगों का उत्पीड़न किया गया, फिर पीड़ितों का ही सरकारी दमन किया गया। भाजपा के स्वर बदलने का सबब और भी है। बता रहे हैं प्रो, रविकांत
भाजपा ने योगी आदित्यनाथ को अयोध्या के बजाय गोरखपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र में लड़ने का निर्देश दिया। और अब चंद्रशेखर ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस विधानसभा क्षेत्र और चंद्रशेखर की दावेदारी के बारे में बता रहे हैं सैयद जैगम मुर्तजा
इतिहास के स्याह पन्नों में झांकने से हमें भान होता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश वही क्षेत्र है, जहां 1990 के दशक में मंडल को कमंडल से दबाने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन मुलायम सिंह यादव, कांशीराम जैसे नेताओं ने सामाजिक न्याय की लौ को बुझने नही दिया। इसके इतर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जायजा ले रहे हैं देवी प्रसाद
उच्च शिक्षा में आने वाले दलित व पिछड़े समुदाय के छात्रों को विश्वविद्यालय कैंपस एक जीतिविहीन स्वस्थ माहौल दे पाने में नाकाम साबित हुए हैं। यहीं कारण है कि जातीय उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं और आहत होकर दलित-पिछड़े छात्र आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
जातिवाद और धार्मिक आंडबरों के विरोधी रहे नाथ सम्प्रदाय पर अाज एक जाति-विशेष का कब्ज़ा है। इन्होंने नाथ सम्प्रदाय की हत्या कर दी है। पढ़िए प्रद्युम्न यादव का शोध आलेख :
The Nath sect was opposed to casteism and religious excesses. Today, it is in the clutches of a particular caste
उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए उपचुनावों में दलित-ओबीसी शक्ति को मिली जबरदस्त सफलता बहुत मायने रखती है। इस जीत को देखते हुए यह गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक दावेदार बन कर उभरा है, साथ ही इससे सामाजिक न्याय के व्यापक एजेंडे का आधार तैयार होने का भरोसा मिला है। ऐसा भरोसा जिसकी नींव बहुजनों के जागरण के प्रतीक पुरुषों ने रखी थी। एक पड़ताल
Given its recent successes in the recent UP by-polls, the alliance has political potential as long as it adheres to the broader agenda of social justice laid out by Dalitbahujan icons Phule, Ambedkar and Periyar, write Sanjay Kumar and Badre Alam