भीमा-कोरेगांव पूरे देश के दलितों के स्वाभिमान और संघर्ष का प्रतीक बनता जा रहा है। 1 जनवरी 2018 को वहां जा रहे लोगों पर हुए हमले के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। भीमा-कोरगांव के इतिहास और हाल की घटनाओं का तथ्यपरक विश्लेषण मराठी लेखक बापू राऊत ने किया है :