इरोड वेंकट नायकर रामासामी ‘पेरियार’ के व्यक्तित्व, कृतित्व और विचारों से हमेशा हिंदुत्ववादी नफरत करते रहे हैं। इसकी अभिव्यक्ति उन्होंने पेरियार की मूर्ति तोड़ कर किया है। हिदुत्वादियों के इस कृत्य के खिलाफ दलित-बहुजनों और प्रगितशील लोगों में गहरा आक्रोश है, पेरियार को जानने-समझने की उत्सुकता बढी है। काफी हद इस उत्सुकता की पूर्ति ‘पेरियार के प्रतिनिधि विचार’ किताब कर सकती है