In conversation with FORWARD Press, Prakash Ambedkar says that outsourcing of jobs by the government departments is encroaching upon the rights of Dalitbahujans and that ‘equal work, unequal pay’ is unconstitutional
फारवर्ड प्रेस से बातचीत में प्रकाश आंबेडकर बता रहे हैं कि सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए दलित-बहुजनों के हक की हकमारी हो रही है। समान काम के लिए असमान वेतन गैरसंवैधानिक है
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पूर्वी दिल्ली ऐसे निम्न-मध्यवर्गीय बिहारियों का इलाका है, जो खुद को बेहद खुशनसीब और अमीर समझते हैं। ये लोग अपनी जाति को लेकर भी बहुत गर्वीले हैं
According to P.S. Krishnan, Indians believe that it’s not possible for anyone to be caste-free. He recounts here how everyone, including a union minister and bureaucrats, wanted to know the caste he was born into
पी.एस कृष्णन का कहना है कि हमारे देश मेंं कोई यह मानने को तैयार नहीं होता कि कोई जाति से मुक्त हो सकता है। मेरी जाति भी लोग जानने की कोशिश करते थे। ऐसे लोगों में केंद्रीय मंत्री से लेकर नौकरशाह तक शामिल थे :
Delhi University has set up a Complaints Redressal Cell, says Deputy Dean Gurpreet Singh Tuteja. The cell has a Red Book in place, where students can register their complaints
दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र/छात्राओं की सहायता के लिए शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। इसके तहत एक ‘रेड बुक’ की व्यवस्था की गयी है। इसमें सभी वर्गों के छात्र/छात्राएं अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। विश्वविद्यालय के डिप्टी डीन गुरप्रीत सिंह टुटेजा से बातचीत :
As sarpanch, Roshni imposed a fine of Rs 500 on villagers who consumed liquor. Every evening, her team made rounds of the village and caught hold of men found drinking
रोशनी कहती हैं कि मैं अपने गांव की पहली दलित महिला सरपंच थी और पहली दलित स्नातक भी। मैंने जब चुनाव लड़ा उस समय 8 पुरुष भी चुनाव मैदान में थे। चुनाव जीत जाने के बाद भी वे व्यंग्य कसतेे थे लेकिन मैंने अपने कार्यकाल के 5 साल में खुद को साबित करके दिखा दिया