जोतीराव फुले ने 1873 में गुलामगिरी की रचना की और बहुजनों को उनकी गुलामी की मानसिकता से परिचित कराया ताकि उनके अंदर आत्मसम्मान की भावना जगे। यह युग परिवर्तनकारी पहल थी। पेरियार ने भी बहुजनों में आत्मसम्मान भरने के लिए बाक़ायदा 1925 से आत्मसम्मान आंदोलन चलाया। बता रहे हैं डॉ. सिद्धार्थ
–
उत्तर प्रदेश में हालात यह हैं कि दलित और पिछड़े इस समय विकल्पहीनता का शिकार नज़र आ रहे हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने जैसे ही हाथ बढ़ाया, तुरंत कई नेताओं और वोटरों को एक मज़बूत विकल्प दिखने लगा। बता रहे हैं सैयद जैगम मुर्तजा