हिंदी पत्रकारिता दिवस पर नारद को न केवल पहले पत्रकार के रूप में स्थापित किया जाता है बल्कि इस मिथकीय चरित्र को अकादमिक क्षेत्र में शोध ग्रंथ तैयार करवा कर उन्हें एक इतिहास के रूप में बनाए रखने की नियमित कवायद चलती है। इस मिथकीय चरित्र को उदंत मार्तंड के प्रकाशन से जोड़ना दरअसल हिंदी पत्रकारिता में हिंदुत्व् की नई राजनीतिक परियोजना का हिस्सा है। बता रहे हैं अनिल चमड़िया
Narada is presented as the original journalist on Hindi Journalism Day. Even theses are being written to lend historicity to this mythical character. Linking Narada with the publication of Udant Martand is part of the project of infusing Hindi journalism with Hindutva, says Anil Chamadia
आज विश्व स्तर पर कई तरह के सूचकांक जारी किए जाते हैं जिनसे किसी भी राष्ट्र की दशा और दिशा का पता चलता है। यदि हम भारत को केंद्र में रखकर देखें तो हम पाते हैं कि अनेक सूचकांकों के मामले में भारत लगातार पिछड़ता जा रहा है। बता रहे हैं अभिनव कटारिया
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अगर आपमें पत्रकारिता के जरिए भारत के वंचित तबकों के लिए काम करने का जज्बा है, तो यह अवसर आपके लिए है
We are inviting applications for Assistant Editor (English)
पत्रकारिता का पहला कर्तव्य है ”बिना किसी प्रयोजन के समाचार देना, निर्भयतापूर्वक उन लोगों की निंदा करना जो गलत रास्ते पर जा रहें हों-फिर चाहे वे कितने ही शक्तिशाली क्यों न हों व पूरे समुदाय के हितों की रक्षा करने वाली नीति को प्रतिपादित करना’’
Ambedkar realized early on the importance of financial independence when one worked for the public good. Hence, while he ran the newspaper, he never gave up practising law. Finances were a concern for a newspaper then as they are today