झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बयानों के बीच विभिन्न आदिवासी समुदायों के लोगों ने मांग तेज कर दी है कि उनके लिए जनगणना प्रपत्र में पृथक धर्म कोड हो। इसके लिए बीते 15 मार्च को जंतर-मंतर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बता रहे हैं सुशील मानव
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भारत सरकार के पूर्व सचिव पी.एस. कृष्णन ने केंद्रीय मंत्री जुआल ओराम को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए जल्द-से-जल्द अध्यादेश लाए। वहीं झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का कहना है कि सरकार ने आदिवासियों का पक्ष ईमानदारी से नहीं रखा
झारखंड के रूप में पृथक राज्य की मांग 1920 से ही शुरु हो गयी थी। करीब अस्सी वर्षों तक राजनीतिक संघर्ष के बाद यह अस्तित्व में आया भी तो, बीते 18 वर्षों में न तो नेताओं का चरित्र बदला है और न ही आदिवासियों की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हिस्सेदारी। बता रहे हैं विशद कुमार :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
झारखंड में कई घटनायें सामने आयी हैं जिनमें आदिवासियों को नक्सली के नाम पर मार दिया गया। एक मामला 8 जून 2015 का है जब पुलिस ने 12 आदिवासियों को मार गिराया। अब इस मामले में हाई कोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया है। इस मामले में एक आरोपी डीजीपी डी.के. पांडेय स्वयं हैं। फारवर्ड प्रेस की खबर :
आदिवासी अपना हक मांग रहे हैं। यदि सरकार ने उनकी मांगों को मांगने के बजाय उन्हें गिरफ्तार करना बंद नहीं किया तो आंदोलन और बढ़ेगा। पत्थलगड़ी आंदोलन को लेकर झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का साक्षात्कार :
Former Jharkhand chief minister says Adivasis are demanding what is rightfully theirs and if the government continues to arrest them the protests will only increase